उत्तरकाशी, उत्तराखंड | 5 अगस्त 2025 — उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक बार फिर प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला। 5 अगस्त की सुबह धराली क्षेत्र में बादल फटने से खीर गंगा नदी अचानक उफान पर आ गई और गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव धराली में भारी तबाही मचा दी। इस भीषण बाढ़ से अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।
कैसे हुई यह विनाशकारी घटना?
स्थानीय निवासी राजेश पंवार के मुताबिक, खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में तड़के बादल फटा, जिससे देखते ही देखते नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया। तेज बहाव ने रास्ते में जो भी आया, उसे बहा दिया – चाहे वो मकान हो, होटल, होमस्टे या पुल।
कुछ ही मिनटों में धराली क्षेत्र जलमग्न हो गया और लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों की ओर भागने लगे। गांव में चीख-पुकार मच गई और हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
20 से ज्यादा होटल और होमस्टे तबाह
बाढ़ की चपेट में आकर 20 से 25 होटल और होमस्टे पूरी तरह से नष्ट हो गए। कई मकान ढह गए और सड़कें बह गईं। मलबे में 10 से 12 मजदूरों के दबे होने की आशंका है, जो निर्माण कार्य में लगे हुए थे। बचाव दल मलबा हटाकर उनकी तलाश में जुटा हुआ है।
प्रशासन और सरकार अलर्ट मोड में
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत कुमार आर्य ने बताया कि फिलहाल चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें मौके पर मौजूद हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन को तत्काल राहत व बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा देने और घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था करने के आदेश भी दिए।
डर के साये में जी रहे हैं लोग
धराली और आसपास के गांवों में डर और दहशत का माहौल है। कई लोग अभी भी लापता हैं और मोबाइल नेटवर्क बाधित होने के कारण संपर्क नहीं हो पा रहा है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने पहली बार इतनी भयानक बाढ़ देखी है।
स्थानीय लोगों को प्रशासन ने ऊंचाई वाले इलाकों में शिफ्ट किया है और राहत शिविरों में अस्थायी निवास की व्यवस्था की जा रही है। पीने का पानी, भोजन और दवाइयों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन रास्तों के कट जाने से दिक्कतें भी आ रही हैं।
💬 स्थानीय लोगों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में पहले भी कई बार बादल फटने की घटनाएं हुई हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला। लोग चाहते हैं कि अब इस क्षेत्र में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और आपदा प्रबंधन की ठोस व्यवस्था की जाए।