नीमच (मध्यप्रदेश)। लगातार हो रही बारिश से नदियों और तालाबों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। इसी का नतीजा रहा कि नीमच जिले की थड़ोली ग्राम पंचायत के हनुमंतिया रावजी गांव में रविवार तड़के एक मादा मगरमच्छ (Crocodile) घुस आई। सुबह लगभग 4 बजे गांव में मगरमच्छ को देख लोग दहशत में आ गए और अफरा-तफरी मच गई।
इस दौरान मगरमच्छ ने गांव के दो ग्रामीणों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायलों में मोहनलाल पिता घीसालाल सुधार समेत एक अन्य ग्रामीण शामिल हैं। दोनों को तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
Table of Contents
ग्रामीणों ने दिखाई बहादुरी, वन विभाग रहा नाकाम
जैसे ही मगरमच्छ गांव में दाखिल हुई, ग्रामीणों ने फौरन पुलिस और वन विभाग को सूचना दी। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई, लेकिन वन विभाग की टीम पूरे 5 घंटे बाद यानी सुबह 9 बजे पहुंची।
ग्रामीणों का कहना है कि टीम के पास न तो पिंजरा था और न ही रस्सी जैसी सुरक्षा सामग्री। ऐसे में मजबूर होकर ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर खुद ही रेस्क्यू करने की कोशिश की।
रेस्क्यू के दौरान मगरमच्छ अचानक गांव की ओर भागी, जिससे भगदड़ मच गई और कई लोग गिरकर घायल हो गए। इसी अफरा-तफरी में उसने दो ग्रामीणों पर हमला कर दिया।
आखिरकार काबू में आया Crocodile मगरमच्छ
लंबे संघर्ष और ग्रामीणों की बहादुरी के बाद मगरमच्छ को काबू में किया गया। बाद में उसे सुरक्षित तरीके से पकड़कर गांधीसागर जलाशय में छोड़ दिया गया।
ग्रामीणों ने राहत की सांस ली, लेकिन वन विभाग की इस बड़ी लापरवाही को लेकर गुस्सा भी साफ झलक रहा था।
“अगर समय पर मदद मिलती तो हादसा टल जाता” – ग्रामीण
गांव के लोगों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि अगर टीम समय पर पहुंचती और पूरी तैयारी के साथ आती तो न तो ग्रामीण घायल होते और न ही गांव में इतना हड़कंप मचता।
ग्रामीणों ने कहा कि बारिश के मौसम में अक्सर नदियों और तालाबों से जलीय जीव बाहर निकलकर आबादी वाले इलाकों में पहुंच जाते हैं। इसके बावजूद वन विभाग और प्रशासन के पास कोई ठोस योजना नहीं दिखती।
जलीय जीवों का खतरा और बढ़ा
लगातार हो रही बारिश ने हालात और मुश्किल कर दिए हैं। नदियों के उफान और जलाशयों में पानी बढ़ने के कारण मगरमच्छ और अन्य जलीय जीव गांवों और खेतों की तरफ भटककर आ रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में सांप, अजगर और मगरमच्छ जैसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। इससे गांवों में डर का माहौल है।
प्रशासन से पुख्ता इंतजाम की मांग
गांववालों ने प्रशासन और वन विभाग से मांग की है कि बारिश के इस मौसम में सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाएं। गांवों के पास रेस्क्यू टीमें, पिंजरे, रस्सियां और मेडिकल इमरजेंसी सुविधाएं हमेशा तैयार रहनी चाहिएं ताकि किसी बड़ी दुर्घटना को टाला जा सके।
साथ ही ग्रामीणों ने यह भी कहा कि लोगों को जागरूक किया जाए कि अगर ऐसे जलीय जीव गांव में आ जाएं तो क्या करना चाहिए और कैसे सुरक्षित रहना चाहिए।
इंसानियत की मिसाल बने ग्रामीण
हालांकि प्रशासन और विभाग की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन इस घटना में ग्रामीणों की हिम्मत और एकजुटता भी मिसाल बनी। बिना किसी साधन के उन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर मगरमच्छ को काबू में किया और बाद में उसे सुरक्षित जगह छोड़ा।
यह घटना बताती है कि जब सरकारी तंत्र सुस्त हो जाए, तो आम लोग ही मिलकर बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना कर लेते हैं।
निष्कर्ष
नीमच जिले का यह वाकया न सिर्फ मगरमच्छ के आतंक की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे प्रशासन की लापरवाही आम जनता पर भारी पड़ सकती है।
अगर वन विभाग समय पर पहुंचकर उचित साधनों से काम करता तो दो ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालकर घायल नहीं होना पड़ता।
यह घटना एक बड़ी चेतावनी भी है – बारिश और बाढ़ के मौसम में जलीय जीवों का खतरा बढ़ जाता है, और ऐसे में प्रशासन को पहले से तैयार रहना चाहिए।
गांववालों की मांग बिल्कुल जायज है कि सुरक्षा इंतजाम पुख्ता किए जाएं, ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की मुश्किल का सामना न करना पड़े।