मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 9 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बच्चों की किडनी कफ सिरप की वजह से फेल हुई। बच्चों को जो कफ सिरप दिया गया था, उसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल केमिकल में गड़बड़ी होने का संदेह है। बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। चूंकि पहला केस 24 अगस्त को सामने आया औऱ पहली मौत 7 सितंबर को हुई। स्वास्थ्य अमले नींद 6 मौतों के बाद खुली और अब मासूमों की मौत का यह आंकड़ा 9 हो गया है।
कई बच्चों की यूरिन (पेशाब) बंद हो गई थी
छिंदवाड़ा के अलग-अलग हिस्सों में 20 सितंबर के बाद सर्दी-खांसी और बुखार के बाद कई बच्चों की यूरिन (पेशाब) बंद हो गई थी। सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाडे के मुताबिक – पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। शुरुआती लक्षणों में बच्चों को तेज बुखार और पेशाब करने में कठिनाई हो रही थी। जिन बच्चों को ये समस्या हो रही थी, उन्हें नागपुर रेफर किया गया था। वहां इलाज चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद उन बच्चों की किडनी की बॉयोप्सी जांच कराई गई। इसमें खुलासा हुआ कि कफ सीरप में मिला डायएथिलीन ग्लायकॉल दूषित पाया गया है। इन ज्यादातर बच्चों को इसी कॉम्बिनेशन का सिरप दिया गया था।
किडनी फेल होने का प्रमुख कारण मल्टीपल एंटीबायोटिक ड्रग्स हो सकता है
छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में फैली रहस्यमय बीमारी की परतें अब खुलने लगी हैं। वायरोलॉजिकल लैब से आए तीन सैंपलों की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि, किडनी फेल होने का प्रमुख कारण मल्टीपल एंटीबायोटिक ड्रग्स हो सकता है। 1 सितंबर के बाद परासिया, उमरेठ, जाटाछापर, बड़कुही और आसपास के गांवों में बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायतें बढ़ीं। परिजन स्थानीय डॉक्टरों और मेडिकल दुकानों से कफ सिरप लाकर बच्चों को पिलाने लगे। लेकिन कुछ ही दिनों में मासूमों की हालत बिगड़ गई, यूरिन आना बंद हो गया और कमजोरी बढ़ गई। हालात नाजुक होते देख उन्हें पहले परासिया और छिंदवाड़ा अस्पताल ले जाया गया, फिर गंभीर बच्चों को नागपुर रेफर करना पड़ा। आखिरी मौत परासिया की संध्या नाम की बच्ची की हुई है। परासिया में 274000 बच्चे हैं। जिनमें से 25000 बच्चे 5 साल से कम है। उनकी स्क्रीनिंग शुरू कर दी है। इनमें से 4000 बच्चों को चिन्हित किया है, जो किसी न किसी स्टेज पर खासी सर्दी जुकाम तो नहीं है उनकी रिपोर्ट आ गई है नॉर्मल है। अब तक इन 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। शिवम राठौर, विधि,अदनान, हुसैन ऋषिका हितांश विकास चंचलेश संध्या। अभी जो आंकड़े है। उसमें से 9 बच्चों की डेथ हो गई है। 13 बच्चे एडमिट हैं, जिनमें से एक रिकवर हो गया। चार बच्चे छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती है। जिनमें से दो की स्थिति ठीक है और दो ट्रीटमेंट में हैं। आठ नागपुर में है जिनमें से पांच बच्चे बेहतर हालात में है तीन का इलाज जारी है।
पानी की जांच कराई गई लेकिन ये भी सामान्य निकला
छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक के आसपास जिन गांवों में बच्चों के किडनी फेल होने के केस आए, जहां बच्चों की मौत हुई, वहां के पानी की जांच कराई गई। लेकिन ये भी सामान्य निकला। परासिया सिविल अस्पताल में बीते हफ्ते भर में 3500 से ज्यादा छोटे बच्चों के खून की सीआरपी जांच हुई, ताकि इन्फेक्शन का पता लगाया जा सके। लेकिन इसमें अधिकांश रिपोर्ट ठीक थी। इस रिपोर्ट के मिलने के बाद जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने जिले के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। इसमें सीईओ जिला पंचायत, सीएमएचओ, मेडिकल कॉलेज डीन, डॉक्टर्स, ड्रग्स इंस्पेक्टर और बाकी अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सट्रॉस डीएस (Nextro-DS) कफ सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया।
विपक्ष ने खड़े किये सवाल
जाहिर है, जब एक महीने तक मासूम बच्चों की प्रदेश में लगातार मौत हो रही हो और सरकार कारण का पता ना लगा पाए, जांच रिपोर्ट का इंतजार करते-करते बच्चे मौत का शिकार हो जाएं, तो विपक्ष का सवाल खड़ा करना बनता ही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने एमपी के और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला की तस्वीर को कफ सीरप पिलाकर विरोध किया, कांग्रेस का कहना है कि छिंदवाड़ा में हुई अब तक 9 बच्चों की मौत कफ सीरप से नहीं हुई ये बात मध्यप्रदेश सरकार के स्वास्थ मंत्री राजेंद्र शुक्ला कह रहे हैं, बिना जांच के कैसे कफ सीरप को क्लीन चिट दे दी।
छिंदवाड़ा में 24 अगस्त को बुखार आने के बाद किडनी फेल होने से 7 सितंबर से अभी तक 9 बच्चों की जान चली गई है। मामला परासिया विकासखंड का है। परिजन के मुताबिक, बच्चों को पहले बुखार और जुकाम हुआ, फिर किडनी में इंफेक्शन। निजी अस्पतालों में भर्ती कराने के बाद भी हालत बिगड़ती गई। नागपुर में इलाज कराया, लेकिन बच्चों की जान नहीं बची। अब हॉस्पिटल में डॉक्टर CBC टेस्ट और बच्चों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। शायद, हॉस्पिटल प्रबंधन की यह नींद पहले खुल जाती, तो यह मासूम बच्चे आज जिंदा होते।
मामले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का भी बयान आया
छिंदवाड़ा में हुई 9 मासूम बच्चों की मौय पर मध्यप्रदेश के बीजेपी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का भी बयान सामने आया है। बीजेपी अध्यक्ष खंडेलवाल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और उनकी टीम चिंता कर रहा है। हमारे मुख्यमंत्री ने भी उचित जांच के निर्देश दिए हैं। क्या दूषित पानी का कारण या सिरप के कारण तो यह नहीं हुआ। क्योंकि सिरप का और भी जगह उपयोग होता है। छिंदवाड़ा के सांसद प्रशासन के साथ मिलकर मोनिटरिंग कर रहे हैं, इतनी बड़ी कैजुअल्टी कैसे हुई। निश्चित तौर पर कार्यवाही होगी। यह दुखद घटना है। यह दोबारा न इसकी चिंता है।
सैंपल की लैब टेस्टिंग चल रही, उसी के हिसाब से निर्णय लिए जाएंगे
सैंपल की लैब टेस्टिंग चल रही है। टेस्ट के बाद जो रिजल्ट सामने आएंगे। जो रिपोर्ट आएगी। वह शेयर की जाएगी और उसी के हिसाब से निर्णय लिए जाएंगे। छिंदवाड़ा में यह सिरप बेन कर दी गई है, बाकि जगह से ऐसी स्थिति निकलकर सामने नहीं आई है। बाकि, जिलों में ऐसी स्थिति नहीं आई है। उसके अनुसार एक्शन लिया जाएगा। बाकि, जिलों में बच्चों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए। ऐसा बिल्कुल नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से कार्रवाई की जा रही है। एज-अ फूड-एंड-ड्रग टेस्ट लैब की रिपोर्ट जब तक नहीं आएगी। तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता। सैंपल आने में एक-दो दिन लगेंगे। रिपोर्ट आने में समय लगता है, जो भी डाउट है। जो भी सैंपल है। वह रिपोर्ट आने के बाद ही क्लियर हो पाएगा। मैं अभी इम्मीडिएटली कुछ नहीं कह सकती। प्रीवेंटिंग रूप से कार्रवाई करना जरूरी है। इसलिए जबलपुर में छापेमारी कार्यवाही की गई। रिपोर्ट आने के बाद सिरप कंपनी का पता चलेगा। अभी यहां से कोई गाइड लाइन नहीं बताई गई है। रिपोर्ट आने के बाद वरिष्ठ लेवल पर एक्शन निर्णय लिया जाएगा।