बुरहानपुर, मध्यप्रदेश – कभी रिश्तेदार बनकर, कभी पुलिसकर्मी बनकर, तो कभी दोस्ती का दिखावा करके – वो लोगों के घरों में घुस जाता था। हाथ में हमेशा एक बैग और उसमें छिपी होती थी ‘मौत की पुड़िया’। देशभर में दर्जनों वारदात करने के बाद भी वो पुलिस को चकमा देता रहा। लेकिन इस बार बुरहानपुर पुलिस ने ऐसा जाल बिछाया कि ये शातिर अपराधी सलाखों के पीछे पहुंच ही गया।
15 मई की रात – भजन के बीच आई मौत
15 मई 2025, इंदिरा कॉलोनी, राकेश श्रीवास्तव के घर सुंदरकांड और भजन कार्यक्रम चल रहा था। घर में भक्तिमय माहौल था। उसी दौरान श्याम ठाकुर के साथ एक अनजान आदमी आया, जिसने अपना नाम बताया – रविंद्र सिंह चौहान।
कार्यक्रम खत्म हुआ, मेहमान चले गए… लेकिन रविंद्र यहीं रुका रहा। अगली सुबह – राकेश श्रीवास्तव मृत मिले और उनकी पत्नी बेहोश हालत में मिलीं। घर से सोने के गहने, मोबाइल, DVR और नकदी गायब थे।
शुरुआती जांच – रहस्य गहराया
राकेश की बेटियों ने बताया कि मां की उंगलियों से अंगूठियां, गले से मंगलसूत्र और अन्य निजी सामान तक गायब थे। पुलिस ने मर्ग क्रमांक 16/25 दर्ज कर जांच शुरू की।
CCTV और साइबर सेल का कमाल
CCTV फुटेज में सिंधी बस्ती चौराहा और स्टेशन पर वही शख्स दिखा – कंधे पर बैग, हाथ में थैली। सुराग भुसावल के एक होटल तक पहुंचा, जहां उसने ‘दिलीप सिंह – ओरई’ नाम से एंट्री की थी।
होटल रजिस्टर में दर्ज मोबाइल नंबर और आधार कार्ड फर्जी निकले। साइबर टीम ने मोबाइल लोकेशन ट्रेस की, पहचान पक्की की और आरोपी की तलाश में उत्तर प्रदेश रवाना हो गई।
असली पहचान – दिलीप सिंह चौहान
- उम्र: 36 साल
- गांव: मुसमरिया, थाना चुरखी, जिला जालौन (उत्तर प्रदेश)
- पेशा: पेशेवर जहरखुरान और लुटेरा
- तरीका: खुद को पुलिसकर्मी या रिश्तेदार बताकर भरोसा जीतना, फिर खाने-पीने में जहर या नशीली गोली मिलाकर लूटपाट करना।
11 राज्यों में वारदात
दिलीप ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बनारस, अहमदनगर, मेरठ जैसे शहरों में 11 जगहों पर वारदातें की हैं। गिरफ्तारी के बाद भी वह फर्जी नाम और पहचान बदलकर जमानत लेकर फरार हो जाता था।
वारदात का पैटर्न
- फर्जी नाम से होटल/गेस्ट हाउस में ठहरना
- नकली आधार और मोबाइल नंबर देना
- खुद को पुलिसकर्मी बताना
- हमेशा एक बैग में पूरी प्लानिंग – जेवर और नकदी गायब, इंसान बेहोश या मृत
- वारदात के बाद तुरंत फरार होना
बुरहानपुर पुलिस की सटीक रणनीति
पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के निर्देशन में, सीएसपी गौरव पाटील, निरीक्षक अमित सिंह जादौन, उपनिरीक्षक महेंद्र सिंह उईके, साइबर सेल, CCTV और लोकल इंटेलिजेंस की टीम ने मिलकर आरोपी को धर दबोचा।
टीम में विक्रम चौहान, दीपांशु, वीर सिंह, दीपक, राजकुमार फागना, नितेश सपकाडे, दर्गेश पटेल, महेश प्रजापति की अहम भूमिका रही।
दर्ज केस
- धाराएं: 123, 305, 307, 319, 331(4) BNS
- FIR संख्या: 135/25, थाना लालबाग
- पहले के केस: कानपुर, अटा, बनारस, काल्पी में अपराधी घोषित
बड़ा सवाल – बार-बार जमानत कैसे?
दिलीप सिंह जैसे अपराधी, जो पूरे देश में भरोसा तोड़ने वाले कातिल बन चुके हैं, पहचान और नाम बदलकर गिरफ्तारी से बच निकलते हैं। क्या ऐसे लोगों की नेशनल लेवल पर डिजिटल ट्रैकिंग और निगरानी अब जरूरी नहीं हो गई है?